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Monday 2 January 2012

Rajasthan Quiz1. बिजोलिया की तरहबेगूं क्षेत्र में भी किसानआंदोलनकाफी प्रभावी रहा था।यहां के गोविन्दपुरा गांवमें हुए गोलीकांड मेंदो किसान शहीद हुए थे।यह गोली कांड किस वर्षहुआ था?1925✓​ 192319351913महात्मा गांधी केअसहयोग आंदोलन से पहलेशुरु हुए बेगूं बिजौलियां केकिसान आंदोलन नेइतिहास में महत्वपूर्णअध्याय जोड़ा है। देशकी आजादी के लिए बेगूं केकिसानों ने कोड़ों की मारझेली, जेल गए।रूपाजी करपाजी भी कईयातनाएं सहते हुए शहीदहो गए, लेकिनगुलामी स्वीकारनहीं की।2. पिंगल भाषा पर जिसक्षेत्र का असर पड़ा था,वह है-मालवासिंध✓​ ब्रजगुजरातडॉ. तेसीतोरी नेराजस्थान के पूर्वी भागकी भाषा को पिंगलअपभ्रंश नाम दिया है।उनके अनुसार इस भाषा सेसंबंद्ध क्षेत्र में मेवाती,जयपुरी,आलवी आदि बोलियाँ मानीहैं। पूर्वी राजस्थान में,ब्रज क्षेत्रीयभाषा शैली केउपकरणों को ग्रहणकरती हुई, पिंगल नामकएक भाषा- शैली का जन्महुआ, जिसमें चारण-परंपरा के श्रेष्ठ साहित्यकी रचना हुई।3. करौली ज़िले केहिण्डोन क़स्बे में लालपत्थर की राज्य की सबसेबड़ी मंडी है। जहां केकारीगर लाल पत्थरकी मूर्तियाँ भी खूब बनातेहैं। तो यहां का यह हस्तशिल्प भी कम नहीं है।मखमलजूतियाँकांच कीचूड़ियाँ✓​ लाखकीचूड़ियाँ4. कलख वृद्ध सिंचाईपरियोजना का संबंध किसज़िले से है?अजमेरसवाईमाधोपुर✓​जयपुरभीलवाड़ा5. राजस्थान के इस गांव मेंपत्थरों से होली खेलना औरखून बहाना आज भी शुभमाना जाता है।बालोतरासारेगबासभिनाय✓​भीलूड़ाराजस्थान भर मेंअपनी तरह की अनूठी एवंदूर-दूर तक मशहूरपत्थरमारहोली आदिवासी बहुलवागड़ के भीलूड़ा गांव मेंखेली जाती है जिसमें लोगरंग-गुलाल और अबीरकी बजाय एक-दूसरे परपत्थरों की जमकर बारिशकर होली मनाते हैं। इसगांवकी युगों पुरानी परम्पराके अनुसार धुलेड़ी पर्व केदिन शामको इसका रोमांचकनज़ारा रह-रह कर साहसऔर शौर्य का दिग्दर्शनकराता है।6. स्थानीयभाषा राजस्थान की इसमहत्वपूर्ण वन उपजको ‘टिमरू’ कहते हैं।बांसखैर✓​ तेंदूमहुआतेंदू पत्ते से बीड़ी तैयारकी जाती है। वागड़की आबोहवा तेंदू पत्तों केउत्पादन के लिए अनुकूल है।7. कमला व इलाइची नामकी महिला चित्रकारकिस शैली से जुड़ी थी ?✓​नाथद्वारामेवाड़मारवाड़जयपुर8. दयाबाई एवं सहजोबाईका संबंध किस सम्प्रदाय सेथा ?रामस्नेहीनाथदादू✓​चरणदासीसंत चरणदास के परमशिष्यों रामरूपजी ,जोगजीत जी, सरसमादुरी शरण , सहजोबाईऔर दयाबाई नेअपनी रचनाओ मे बार बारगुरुदेव जी का यश गया हैउन्होने गुरुदेव को लोहेको सोना बना देनेवाला परस और बेकारवृक्षों को अपनी सुगंधी सेसुगन्धित कर देनेवाला चन्दन कहा है सतगुरुके प्रेम मे मगन सहजोबाईने सतगुरु को हरी सेभी ऊँचा दर्जा दिया है9. यह भी ‘बणी-ठणी’ केलिए प्रसिद्ध चित्रकारनिहालचन्द की प्रसिद्धकृति रही है।चोरपंचाशिकारागमाला✓​राधा-कृष्णगुलिस्तांकिशनगढ़चित्रशैली का प्रसिद्धचित्रकार ‘निहालचन्दथा, जिसने प्रसिद्ध ‘बनी-ठणी’ चित्र चित्रितकिया।10. इन्हें बागड़की मीरां कहा जाता है।कालीबाईकृष्णाकुमारीदेऊ✓​गवरीबाईसंवत् 1815 में राम नवमी केदिन एक नागर ब्राह्मणपरिवार में इसकन्या का जन्म हुआ।साधारण परिवार मेंजन्मी इस कन्या का नामगवरी बाई था जिसे आजइतिहास में ‘‘वागड़की मीरा’’ के नाम सेजाना जाता है।11. राज्य की सबसेछोटी बकरी की नस्ल है।जमनापारीपरबतसरी✓​बारबरीजखराना12. ‘कलीला-दमना’ कीचित्राकंन परम्परा कोमेवाड़ के शासक संग्रामसिंह द्वितीय ने प्रश्रयदिया था। यह पंचतंत्र काअनुवाद था, जो स्थानीयशैली में चित्रों के माध्यमसे किया गया था। इसकेप्रमुख कलाकार थे -✓​नुरूद्दीनसुरजनसाहिबदीनरघुनाथ13. निम्न में से किस खनिजसे राज्य सरकारको सर्वाधिक राजस्वमिलता है ?मार्बललिग्नाइटतांबा✓​सीसा-जस्ताअलौह धातु सीसा,जस्ता एवं ताबां केउत्पादन मूल्य की दृष्टि सेदेश में राजस्थान का प्रथमस्थान है तथा लौह खनिजटंगस्टन आदि के उत्पादनमूल्य में प्रदेशका चौथा स्थान बनगया है।14. सोनामुखी के बेहतरविपणन के लिए विशिष्टमंडी कहां स्थापित की गईहैबाड़मेरसोजत✓​जोधपुरजालोरफलौदी, जि. जोधपुर में।सोनामुखी का पौधा मूलतःअरब देशों से भारत मेंआया है। इसको हिन्दी मेंसनाय, राजस्थानी मेंसोनामुखी कहते हैं। भारतमें अधिकतरइसकी खेती तमिलनाडू मेंकी जाती है। भारतका सोनामुखी की खेती मेंविश्व में प्रथम स्थान है।भारत से प्रति वर्ष तीसकरोड़ रुपये से अधिककी सोनामुखी की पत्तियोंका निर्यातकिया जाता है।सोनामुखी की पत्तियों काउपयोग आयुर्वेदिक,यूनानी तथा एलोपैथिकदवाइयों के निर्माण मेंकिया जाता है। यह फ़सलहरियाणा के दक्षिण-पश्चिम भागों में आसानी सेउगाई जा सकती है।पूर्णतया बंजर भूमि मेंउपजाए जा सकने वाले इसऔषधीय पौधे के लिए नतो ज़्यादा पानी कीआवश्यकता होती है तथा नही खाद की और नही किसी विशेषसुरक्षा अथवा देखभल की।इसको लगाने के उपरान्त नतो कोई पशु आदि खाते हैं।इस प्रकार हरियाणा केविभिन्न भागों में विशेषरूप से बंजर भूमि में इसऔषधीय पौधे को खेती करकेपर्याप्त लाभकमाया जा सकता है।15. झीलवाड़ा की नालया पगल्या से कौनसेदो ज़िले जुड़ते हैं ?नागौर-अजमेर✓​पाली-राजसमन्दडूंगरपुर-उदयपुरसिरोही-उदयपुरझीलवाड़ा की नाल , जिसेदेसूरी की नालया पगल्यानाम से भी जाना जाता है,मेवाड़ को मारवाड़ सेजोड़ती है। मुगलों के समयहल्दीघाटी के युद्ध केपश्चात् मुगलों ने अधिकांशआक्रमण इसी नाल से घुसकर किये। इसके अतिरिक्तमेवाड़ को मारवाड़ सेजोडऩे वाली अन्य नालसोमेश्वर की नाल,हाथीगुड़ा की नाल,भाणपुरा की नाल(राणकपुर का घाटा),कामली घाट, गोरम घाटव काली घाटी है।16. निजी क्षेत्र में पवनऊर्जा की पहली इकाईकहां स्थापित हुई थी औरकब हुई थी ?फलौदी2010हर्षपर्वत 2005देवगढ़,2007✓​जैसलमेर,200117. जिप्सम के उत्पादन केलिए आजादी के पहले औरआज भी अग्रणी है।बाड़मेरगंगानगरनागौर✓​बीकानेर18. 2001 की जनगणना और2007 की पशुगणना में किसज़िलों में सर्वाधिकलिंगानुपात, सर्वाधिकपशुधनत्व और सर्वाधिकहिंदू आबादी का प्रतिशतपाया गया है ?✓​डूंगरपुरजयपुरबाँसवाड़ाबाड़मेर19. हांग-कांग की फोकसएनर्जी नामक कम्पनी हमेंगैस की खोज और उसकेउत्पादन में सहयोग कररही है। इसको वर्तमान मेंकौनसा कार्यक्षेत्रदिया गया है।सांचोरतनोट✓​शाहगढ़बाधेवालावर्तमान में फोकसएनर्जी द्वारा क्षेत्र मेंउत्पादित की जाने वालेबैस की सप्लाई रामगढ़स्थित विद्युत तापीय गृहको की जा रही है।वर्तमान में 70 लाखक्यूबिक फीट गैसकी सप्लाई हो रही है।20. ए.जी.जी. राजस्थानमें अँग्रेज़ी राज केप्रतिनिधि हुआ करते थे।उनका कार्यालय प्रारम्भमें अजमेर में था, जिसेमाउन्ट आबू में इस वर्षस्थानान्तरित करदिया गया था।✓​ 185618891835190221. राजस्थान मेंसर्वाधिक प्रतिशत किसप्रकार केवनों का पाया जाता है ?ढाक वनसालरवन✓​ धौंकवनबांस वन22. राज्य में तिल केउत्पादन मेंअग्रणी ज़िलों का सहीअवरोही क्रम है।पाली,नागौर,अजमेर,जयपुर✓​पाली,सवाईमाधोपुर,जोधपुर,करौलीकोटा,करौली,बारां,जयपुरजयपुर,अजमेर,टोंक,पाली23. कुड़क, मुरकी, ओगन्या,टोटी व गुड़दा, शरीर केकिस भाग में पहने जानेवाले गहने हैं ?नाक✓​ कानहाथगला24. मूलतः यह नाट्यगायनपठानों की पश्तो भाषा मेंहोता था। राजस्थानआकर यह यहां के रंग में रंगगया है।जयपुरीख्यालतुर्राकलंगी✓​चारबैतख्यालमाचख्याल25. भपंग किस प्रकारका वाद्य है ?अवनद्यसुषिर✓ धनतत्भपंग - तूंबे के पैंदे परपतली खाल मढी रहती है।खाल के मध्य में छेद करकेतांत का तारनिकाला जाता है। तांत केऊपरी सिरे परलकड़ी का गुटका लगता है।तांबे को बायीं बगल मेंदबाकर, तार को बाएँहाथ से तनाव देते हुएदाहिने हाथ की नखवी सेप्रहार करने पर लयात्मकध्वनि निकलती है।


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